

नई दिल्ली (PIB) : केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में फिडे महिला विश्व कप 2025 की पदक विजेता दिव्या देशमुख और कोनेरू हम्पी को सम्मानित किया। भारतीय शतरंज खिलाड़ी दिव्या और अनुभवी ग्रैंडमास्टर (जीएम) कोनेरू ने हाल ही में जॉर्जिया के बटुमी में संपन्न टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करके देश को गौरवान्वित किया।
डॉ. मांडविया ने दिव्या देशमुख को व्यक्तिगत रूप से सम्मानित किया, जो देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर और ग्रैंडमास्टर बनने वाली चौथी भारतीय महिला रही। दिव्या फिडे महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला और ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी भी बनीं। कोनेरू हम्पी इस समारोह में वर्चुअली शामिल हुईं।
कार्यक्रम में दोनों को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “आप जैसे ग्रैंडमास्टर नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। अधिक युवा खेलों में रुचि लेंगे, खासकर शतरंज जैसे दिमागी खेल में। शतरंज को दुनिया को भारत का एक उपहार माना जा सकता है और यह प्राचीन काल से खेला जाता रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप दोनों से प्रेरणा लेकर भारत की कई बेटियाँ दुनिया में आगे बढ़ेंगी।”
डॉ. मांडविया ने कहा, “मैंने हम्पी के बारे में पढ़ा है और मुझे पता है कि उन्होंने अपने सफ़र में कई लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने एक लंबी और विशिष्ट पारी खेली है। मुझे याद है कि मैं घर जाकर अपने बच्चों के साथ उनके खेल देखता था।”
बटुमी में 5 से 28 जुलाई तक आयोजित फिडे महिला विश्व कप 2025 में 19 वर्षीय दिव्या देशमुख और अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी के बीच ऐतिहासिक अखिल भारतीय फाइनल मुकाबला हुआ। यह पहली बार था जब दो भारतीय महिलाएँ फाइनल में पहुँचीं और यह भारत का पहला महिला विश्व कप खिताब भी था। नागपुर की रहने वाली दिव्या ने दो ड्रॉ क्लासिकल गेम्स के बाद एक तनावपूर्ण टाईब्रेक में हम्पी को हराया। उन्होंने इस आयोजन के दौरान झू जिनर, हरिका द्रोणावल्ली और टैन झोंगयी जैसी शीर्ष खिलाड़ियों को हराकर अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म भी हासिल किया।
दिव्या ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि खिताब भारत आया। कोनेरू ने बहुत अच्छा खेला, लेकिन मैं भाग्यशाली रही कि मैं जीत गई। मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी यह जानकर हुई कि चाहे कोई भी जीते, खिताब भारत ही आएगा।” उन्होंने कहा, “आज मुझे माननीय मंत्री जी द्वारा सम्मानित किए जाने पर बहुत खुशी हो रही है क्योंकि इससे खिलाड़ियों का हौसला बढ़ता है और युवाओं को यह संदेश मिलता है कि उन्हें देश का समर्थन प्राप्त है। मैं शतरंज को निरंतर प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) और खेल मंत्रालय का भी धन्यवाद करना चाहती हूँ। इस तरह के निरंतर प्रोत्साहन से देश में इस खेल को बढ़ावा मिलेगा।”
अनुभवी कोनेरू हम्पी, जो 2002 में 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनीं, ने अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा, “यह एक बहुत लंबा और थका देने वाला टूर्नामेंट था और मुझे खुशी है कि मैं अंत तक खेल पाई। दो पीढ़ियों के शतरंज खिलाड़ियों के आमने-सामने होने के कारण भारत ने फाइनल में अपना दबदबा बनाया और खिताब भारत के नाम रहा।”
इस साल अक्टूबर में गोवा में भारत द्वारा फिडे पुरुष विश्व कप 2025 की मेज़बानी करने के साथ, डॉ. मांडविया ने देश के खेल परिदृश्य के बारे में सकारात्मकता व्यक्त की। महिला शतरंज विश्व कप में भारत की जीत न केवल भारत के खेल कौशल का प्रमाण है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश में स्थापित खेल इकोस्टिम को भी उजागर करती है। सरकार केवल कागज़ों पर ही खेलों को बढ़ावा नहीं दे रही है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी गहरा और सुगठित समर्थन सुनिश्चित कर रही है। इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। आने वाले दिनों में कई सुधार देखने को मिलेंगे। पिछले महीने ही, हमने ‘खेलो भारत नीति’ की घोषणा की थी। अब, खेलों में सुशासन लाने के लिए संसद में एक राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पर विचार किया जाएगा। इसके पारित होने और लागू होने के बाद, देश में खेलों के विकास में और तेज़ी आएगी।”